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फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें? - शेयर बाजार में पोजिशनल ट्रेडिंग के मूल सिद्धांत

इस लेख में, हम स्टॉक मार्केट में पोजिशनल ट्रेडिंग (स्थितीय व्यापार, यानी निवेश) के कुछ मूल सिद्धांत, और टिप्स के बारे में जानने जा रहे हैं। हमारा विशेष ध्यान किसी कंपनी के मौलिक विश्लेषण (फंडामेंटल एनालिसिस, Fundamental Analysis) की कला और विज्ञान सीखने पर होगा।

Table of Contents
  • मौलिक विश्लेषण क्या होता है?
  • मौलिक विश्लेषण के पहलू
  • निवेश से जुड़े कुछ टिप्स

मौलिक विश्लेषण क्या होता है?

मौलिक विश्लेषण (Fundamental Analysis) में, हम किसी विशेष कंपनी की ताकत और कमजोरी का विश्लेषण करना चाहते हैं। यहां हमारा ध्यान उनके स्टॉक या चार्ट में उनकी कीमत पर नहीं होता है। बल्कि, हम कंपनी की बैलेंस शीट, आदि का विश्लेषण करते हैं।

पोजिशनल ट्रेडर्स किसी कंपनी में लंबी अवधि के लिए, जैसे महीनों या सालों के लिए निवेश करते हैं। इसलिए, वे उस कंपनी के मालिक बन जाते हैं जिसमें वे निवेश करते हैं और उसी तरह सोचते हैं। यदि आप एक निवेशक हैं, तो आप किस प्रकार के व्यवसाय/कंपनी में निवेश करना चाहेंगे?

किसी कंपनी के मौलिक विश्लेषण का उद्देश्य यह भविष्यवाणी करना है कि क्या वह भविष्य में बढ़ेगी और मुनाफा कमाएगी। अगर वह ऐसा करती है, तो क्या वह अपने शेयरधारकों को लाभांश प्रदान करने और अपने शेयरों की मांग को बढ़ाने में सक्षम होगी (जो अंततः इसकी कीमत को बढ़ा देगा)। यदि आप किसी कंपनी के भविष्य को उसके वर्तमान के आधार पर आंक सकते हैं, तो आप उसके शेयरों को खरीदकर अच्छी कमाई करेंगे।

नोट

इस उद्देश्य के लिए, आप tickertape.in का उपयोग कर सकते हैं, जो एक स्टॉक स्क्रीनिंग टूल है। अपनी पसंद के स्टॉक का चयन करें, इसे एक नई विंडो में खोलें और वित्तीय (आय, बैलेंस शीट, कैश फ्लो) और पीयर (मूल्यांकन/Valuation) टैब का विश्लेषण करें।

मौलिक विश्लेषण के पहलू

मौलिक विश्लेषण में, हमें कंपनी के निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है:

  • कंपनी के स्वास्थ्य संकेतक
  • कंपनी के शेयर मूल्य संकेतक
  • बाहरी संकेतक

आइए एक नजर डालते हैं इन तीनों पर।

किसी कंपनी के स्वास्थ्य संकेतक (Health Indicators of a Company)

  • कंपनी का राजस्व और शुद्ध आय: जितना अधिक राजस्व (revenue) और शुद्ध आय (net income), उतनी ही बेहतर कंपनी। यह भी देखें कि वे प्रति वर्ष बढ़ रहे हैं या नहीं। हालांकि, सिर्फ पैसा कमा लेना ही काफी नहीं है। हमें यह भी जांचना चाहिए कि क्या वह इकाई कर्ज में है। (आप इसे tickertape.in के वित्तीय अनुभाग में आय टैब के अंतर्गत देख सकते हैं)

  • कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (Compounded Annual Growth Rate, CAGR): यह आपको बताएगा कि पिछले कुछ वर्षों में कंपनी कैसे बढ़ रही है।

  • एसेट/लायबिलिटी एनालिसिस (Asset/Liability analysis): जितनी ज्यादा एसेट्स/संपत्ति और कम लायबिलिटी/देयता, उतनी ही बेहतर कंपनी। भले ही किसी कंपनी के पास बहुत अधिक देयता (जैसे ऋण) हो, यदि उसके पास पर्याप्त संपत्ति है, तो शेयरधारकों को यह आश्वासन मिल सकता है कि कंपनी दिवालिया होने पर भी उन संपत्तियों को बेचकर उन्हें उनका पैसा वापस दे देगी। यह भी देखें कि संपत्ति प्रति वर्ष बढ़ रही है या नहीं (सामान्य तौर पर, देनदारियों को संपत्ति की तुलना में तेज दर से नहीं बढ़ना चाहिए)। एक कंपनी के पास देनदारियों की तुलना में बहुत अधिक संपत्ति होनी चाहिए। यदि वे तक़रीबन बराबर हैं तो उस कंपनी में निवेश करना सुरक्षित नहीं है। (आप इसे tickertape.in के वित्तीय अनुभाग में बैलेंस शीट टैब के तहत देख सकते हैं) आप उनके ऋण-इक्विटी अनुपात (Debt-to-Equity ratio) पर भी एक नज़र डाल सकते हैं (सामान्य तौर पर, यह जितना कम होगा उतना बेहतर)। 2.5 या उससे कम का डेट टू इक्विटी रेश्यो अच्छा माना जाता है और आप ऐसे स्टॉक्स खरीदने के बारे में सोच सकते हैं (1 से नीचे अच्छा होगा, और लगभग 0 बेहतरीन होगा)।

  • नकदी प्रवाह (Cash Flow, कैश फ्लो): कैश फ्लो वह पैसा होता है जो एक कंपनी के पास होता है - वह कैश जो उसे मिल रहा होता है और जो कैश बाहर निकल रहा होता है। किसी कंपनी का कैश फ्लो जितना अधिक होगा, उतना ही अच्छा होगा।

नकदी प्रवाह बनाम राजस्व बनाम लाभ
  • राजस्व वह धन है जो कोई कंपनी अपने उत्पादों और सेवाओं की बिक्री से कमाती है। इसमें ब्याज, शुल्क और रॉयल्टी जैसे अन्य स्रोतों से अर्जित धन भी शामिल हो सकता है। स्वस्थ कंपनी में यह उसके खर्च से अधिक होना चाहिए। राजस्व को प्रोद्भवन के आधार (accrual basis) पर सूचित किया जाता है, अर्थात इसमें सभी बिक्री को शामिल कर लिया जाता है, चाहे अभी तक उनका भुगतान किया गया हो या नहीं।

  • लाभ, सभी खर्चों का भुगतान करने के बाद बचे हुए धन को इंगित करता है। तो, यह किसी कंपनी की सफलता या विफलता को इंगित करता है। लाभ / हानि = राजस्व - व्यय।

  • नकदी प्रवाह / कैश फ्लो किसी व्यवसाय/कंपनी के अंदर आते और बाहर जाते नकदी के शुद्ध प्रवाह को दर्शाता है। यह एक तरलता संकेतक (liquidity indicator) की प्रकर्ति का अधिक है, और किसी कंपनी के दिन-प्रतिदिन के संचालन के लिए आवश्यक है। कैश फ्लो (यानी कैश इनफ्लो - कैश आउटफ्लो) हमेशा सकारात्मक होना चाहिए, अन्यथा कंपनी ठीक से काम नहीं कर पाएगी। नकदी प्रवाह की सूचना नकद आधार पर दी जाती है, न कि प्रोद्भवन के आधार पर, यानी हम केवल उस वास्तविक नकदी को देखते हैं जो किसी कंपनी में आती है या उससे बाहर जाती है। राजस्व = नकद प्रवाह + चालान जिनका अभी तक ग्राहकों द्वारा भुगतान किया जाना है। मान लें कि एक ग्राहक ने 100 डॉलर मूल्य के कंपनी उत्पाद खरीदे हैं, जिसमें से उसने 50 डॉलर का भुगतान किया है। तो, यहां $50 नकद प्रवाह है, जबकि $100 कंपनी का कुल राजस्व है। एक कंपनी को कच्चे माल का भुगतान करने, वेतन का भुगतान करने, आदि के लिए कुछ नकदी प्रवाह की आवश्यकता होती है।

  • कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट और निवेशक प्रस्तुति (Investor Presentation): वार्षिक रिपोर्ट हमें उस कंपनी का गहन ज्ञान देती है जिसमें हम निवेश कर रहे हैं। निवेशक प्रस्तुति आम तौर पर बड़ी कंपनियों द्वारा ही जारी की जाती है।
चेतावनी

आपको कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट और बैलेंस शीट पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कभी-कभी, उनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, और यह हो सकता है की वे पूरी या सच्ची तस्वीर नहीं दिखा रहे हों।

इसके अलावा, कंपनियां अक्सर अपने पास मौजूद संपत्ति के मूल्य को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाती हैं। उदाहरण के लिए, कोई कंपनी एक मशीन का मूल्य $4000 के रूप में दिखा सकती है, भले ही इसका मूल्य समय के साथ कम हो गया हो और यह अब खुले बाजार में वह $400 मूल्य की भी न हो। इसलिए, सुनिश्चित करें कि किसी कंपनी का परिसंपत्ति-देयता अनुपात (asset-liability ratio) स्वस्थ है। यदि यह लगभग 1:1 के पास है, तो यह एक लाल झंडा है।

किसी कंपनी के शेयर मूल्य संकेतक (Share Price Indicators of a Company)

विभिन्न इक्विटी इंडेक्स पर हजारों कंपनियां सूचीबद्ध होती हैं। लेकिन कुछ शेयरों का मूल्यांकन कम हो सकता है, जबकि अन्य का मूल्य अधिक हो सकता है। प्रत्येक शेयर जो हम खरीदते हैं, वह हमें कुछ मूल्य भी प्रदान करता है। एक निवेशक के रूप में हमारा उद्देश्य, एक ऐसा स्टॉक खरीदना है जो हमें उस कीमत से कहीं अधिक मूल्य प्रदान करे जो हमें इसे खरीदने के लिए चुकानी पड़ी थी। इसलिए, यहां हमारा उद्देश्य कम कीमत वाले शेयरों को ढूंढना और उन्हें खरीदना है। एक बार जब बाकी सभी लोग भविष्य में उसके असल मूल्य को पहचान लेंगे, तो निश्चित रूप से उसकी कीमत बढ़ जाएगी। इस उद्देश्य के लिए, हम विभिन्न संकेतकों का उपयोग करते हैं।

नोट

कृपया ध्यान दें कि एक सस्ते शेयर का भी अधिक मूल्यांकन किया जा सकता है, और यह भी हो सकता है कि महंगे दिखने वाले शेयर का भी मूल्यांकन सही नहीं किया गया हो। उदाहरण के लिए, यदि केवल रु. 10 मूल्य का शेयर, बाज़ार में रु. 20 का हो, तो यह ओवरवैल्यूड (overvalued) है। और अगर एक रु. 400 मूल्य का शेयर, बाज़ार में रु. 200 का हो, तो यह अंडरवैलुएड (undervalued) है।

  • P/E रेश्यो: यह प्राइस टू अर्निंग रेशियो (Price to Earning Ratio) है। P/E अनुपात की गणना कंपनी की ‘प्रति शेयर आय’ से ‘प्रति शेयर बाजार मूल्य’ को विभाजित करके की जाती है। यह जितना कम हो, उतना बेहतर है। उदाहरण के लिए, यदि P/E अनुपात 8 है, तो इसका मतलब है कि प्रति वर्ष 1 रुपये कमाने के लिए आपको 8 रुपये का निवेश करना होगा। तो, 8 साल में आपको अपना पैसा वापस मिल जाएगा। आदर्श रूप से, आपको ऐसा शेयर नहीं खरीदना चाहिए जिसका P/E शेयर 25 से अधिक हो (जब तक कि कुछ अन्य बहुत मजबूत तेजी के संकेतक न हों, जो यह सुझाव देते हों कि इसकी कीमत में काफी वृद्धि होगी)।
नोट

बहुत अधिक P/E अनुपात वाले कुछ शेयर भी बहुत अधिक मांग में होते हैं, और यही कारण है कि उनके शेयर का मूल्य बढ़ता रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी शेयर की कीमत मांग-आपूर्ति अनुपात पर निर्भर करती है, न कि P/E अनुपात पर। लेकिन वारेन बफे (Warren Buffet) के अनुसार, हमें केवल उन्हीं शेयरों को खरीदना चाहिए जिनकी कीमत उनके आंतरिक मूल्य से कम दर पर हो। आप tickertape.in पर शेयर के आंतरिक मूल्य के साथ-साथ P/E अनुपात का पता लगा सकते हैं

साथ ही, उस कंपनी के ऐतिहासिक P/E अनुपात और उस क्षेत्र/sector की कंपनियों के औसत P/E अनुपात पर भी एक नज़र डालें। यह आपको और भी बड़ी तस्वीर प्रदान करेगा।

नोट

यदि आप उन कंपनियों को पहचान सकते हैं जिनका P/E अनुपात भविष्य में बढ़ने वाला है, तो आप शेयर बाजार गुरु बन जाएंगे। यदि शेयर खरीदने के बाद P/E अनुपात बढ़ता है, तो यह आपके लिए फायदेमंद होगा। इसका मतलब यह होगा कि शेयर की कीमत कंपनी की वास्तविक वृद्धि की तुलना में बहुत अधिक बढ़ गई है - शेयर बाजार ने कंपनी को असमान रूप से पुरस्कृत किया है - एक निवेशक के रूप में यह आपके लिए अच्छा ही है!

  • P/B अनुपात: यह किसी कंपनी के बुक वैल्यू (book value) के सापेक्ष बाजार का मूल्यांकन है। इक्विटी का बाजार मूल्य आमतौर पर किसी कंपनी के बुक वैल्यू से अधिक होता है। संभावित निवेशों की पहचान करने के लिए मूल्य निवेशकों द्वारा P/B अनुपात का उपयोग किया जाता है। 1 से कम P/B अनुपात आमतौर पर अच्छा और ठोस निवेश माना जाता है। आपको 2 से ज्यादा P/B रेशियो वाले शेयर खरीदने से बचना चाहिए।
नोट

आम आदमी के शब्दों में कहें तो, बुक वैल्यू = एसेट - लायबिलिटी। किसी कंपनी के बुक वैल्यू की गणना करते समय हम केवल उसकी मूर्त संपत्ति (tangible assets) पर विचार करते हैं। हम इसकी अमूर्त संपत्ति (intangible assets) के मूल्य का आकलन नहीं कर सकते हैं, उदा. कंपनी के पास जो तकनीक है, ग्राहकों या आम जनता के बीच उसकी अच्छी पहचान, उसकी ब्रांड जागरूकता, आदि। इसलिए P/B अनुपात उन कंपनियों के मामले में अधिक उपयोगी है जिनके पास मूर्त संपत्ति है, उदा. निर्माण कंपनियां (manufacturing companies)। यह प्रौद्योगिकी से संबंधित कंपनियों के लिए अच्छा संकेतक नहीं है (ऐसी कंपनियों के लिए P/B अनुपात बहुत अधिक हो सकता है, क्योंकि इन कंपनियों के पास बड़ी मूर्त संपत्ति नहीं होती है, और इसलिए उनकी बुक वैल्यू उनके बाजार मूल्य की तुलना में बहुत छोटी होती है)

  • इक्विटी पर रिटर्न (Return on Equity - ROE): ROE, शुद्ध आय (यानी लाभ), और कुल शेयरधारक इक्विटी का अनुपात है। यह एक और संकेतक है जिसका उपयोग कई विशेषज्ञ करते हैं। यह दिखाता है कि कंपनी अपने पैसे से कितना काम करवा रही है। यह जितना अधिक हो, उतना अच्छा है। आदर्श रूप से, यह 50 से ऊपर होना चाहिए।
नोट

आप tickertape.in पर अपनी पसंद के फ़िल्टर लागू कर सकते हैं, और जितनी चाहें उतनी कंपनियों के डेटा को एक्सेल/excel फ़ाइल में निर्यात कर सकते हैं। इसमें आप आगे कुछ और फ़िल्टर लागू कर सकते हैं और उन कंपनियों को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं जो परिसंपत्ति-मूल्य/मार्केट कैप अनुपात, P/E अनुपात, ऋण/इक्विटी अनुपात, CAGR, इत्यादि के संबंध में आपके मानदंडों को पूरा करती हैं। इसके बाद आप उन कंपनियों का और अधिक विस्तार से विश्लेषण कर सकते हैं, जैसे उनके शेयरधारिता पैटर्न, आदि को देखकर।

  • आर्थिक खाई (Economic moat): यह प्रतिस्पर्धियों से अपनी बाजार हिस्सेदारी की रक्षा करने की कंपनी की क्षमता को प्रतिलक्षित करता है।

  • इन सबके अलावा, किसी कंपनी के मासिक चार्ट का चार्ट विश्लेषण (यानी तकनीकी विश्लेषण, Technical Analysis) भी उपयोगी होता है। हां, तकनीकी विश्लेषण पोजिशनल ट्रेडिंग में भी उपयोगी है (न केवल इंट्रा-डे ट्रेडिंग में)। लेकिन यह सुनिश्चित करें कि ऐसा करने से पहले आपने उस कंपनी का मौलिक विश्लेषण (fundamental analysis) कर लिया हो।

बाहरी संकेतक (External Indicators)

इन सबके अलावा हमें कुछ बाहरी संकेतकों (अर्थात किसी कंपनी या उसके शेयर चार्ट के दायरे से बाहर के कारक) पर भी एक नज़र डालने की आवश्यकता है:

  • प्रबंधन और प्रमोटर (Management and Promoter): यदि किसी कंपनी के प्रबंधन और प्रमोटरों की उस कंपनी में पर्याप्त हिस्सेदारी है, तो इसका मतलब है कि वे वास्तव में उस कंपनी के विकास में निवेश कर रहे हैं और इसकी विकास क्षमता पर उनको भरोसा है। परन्तु, अगर वे स्टॉक बेच रहे हैं, तो हो सकता है कि कंपनी में चीजें उतनी अच्छी न हों। प्रमोटर वे लोग हैं जिन्होंने कंपनी शुरू की, यानी इसके संस्थापक। उदाहरण के लिए, रिलायंस के मुकेश अंबानी, या माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स, आदि। जबकि, प्रबंधन इसके निदेशक मंडल, CEO, CFO, CTO, आदि होंगे। यह खबर पाने के लिए कि क्या कुछ बड़े शेयरधारकों ने शेयरों का बड़ा हिस्सा खरीदा / बेचा है, आपको अपने कुछ अंदरूनी संपर्कों पर निर्भर रहना पड़ सकता है, या आप tickertape.in या इसी तरह की किसी अन्य वेबसाइट पर बड़े लेनदेन को ट्रैक कर सकते हैं। वहां आपको स्टॉक का समग्र शेयरधारिता पैटर्न भी देखने को मिलेगा, यानी प्रमोटरों, म्यूचुअल फंड, खुदरा निवेशकों, आदि के शेयरों का प्रतिशत।

  • हम उस क्षेत्र की समान कंपनियों के साथ कंपनी की तुलना कर सकते हैं (जो इसकी प्राकृतिक प्रतिस्पर्धी हैं)। यह हमें किसी दिए गए क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कंपनी को पहचानने में मदद करता है।

नोट

यदि आप एक नौसिखिया हैं, तो आपको उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिनके बारे में आपने सुना है, उनके व्यवसाय और उत्पादों, आदि से अवगत हैं। सामान्य ज्ञान लागू करें - कभी-कभी यह दुनिया के सभी विश्लेषणों से अधिक उपयोगी होता है। देखें कि कंपनी क्या कर रही है, यह कैसे काम करती है, इसके उत्पादों की गुणवत्ता और लोकप्रियता। अपने आप को उस कंपनी के उत्पाद और सेवाओं के उपयोगकर्ता के स्थान पर रखें, और अपने आप से पूछें कि क्या आप उनके उत्पाद / सेवा, उनकी बिक्री के बाद की सेवा, उनके ग्राहक देखभाल के रवैये, आदि से संतुष्ट होंगे। आपको आपका जवाब मिल जाएगा - इस बारे में कि क्या वह कंपनी बढ़ेगी और भविष्य में लाभ कमाएगी, और क्या आपको उसमें निवेश करना चाहिए।

निवेश से जुड़े कुछ टिप्स

यदि आप शेयर बाजार में लंबी अवधि के निवेश में रुचि रखते हैं, तो प्रवेश और निकास के संबंध में कुछ सुझाव हैं जो निर्णय लेते समय काम आ सकते हैं।

तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis)

कुछ शेयर बाजार विशेषज्ञों (जैसे कुणाल सरावगी) के अनुसार, चार्ट का तकनीकी विश्लेषण तब भी उपयोगी होता है, जब आप लंबे समय तक शेयरों में निवेश कर रहे हों। तो, आप स्टॉक के मौलिक विश्लेषण (fundamental analysis) के साथ, चार्ट के तकनीकी विश्लेषण पर भी ध्यान दे सकते हैं।

निवेशक जिन कैंडलस्टिक चार्ट का अध्ययन करते हैं, वे बहुत लंबी अवधि के होते हैं - एक सप्ताह, एक महीने या उससे अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाली मोमबत्ती/कैंडलस्टिक। सभी अवधारणाएं और दर्शन समान रहते हैं, चाहे आप एक मिनट का चार्ट देख रहे हों या मासिक चार्ट। हमने एक अलग लेख में कैंडलस्टिक पैटर्न और चार्ट पैटर्न को कवर किया है।

नोट

कुछ विशेषज्ञ मौलिक विश्लेषण पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, और दूसरों की तुलना में बहुत गहराई तक जाते हैं। जबकि अन्य सिर्फ एक बुनियादी मौलिक विश्लेषण करते हैं और फिर तकनीकी विश्लेषण के आधार पर निवेश करते हैं।

कुछ सुझाव:

  • जब कोई स्टॉक लंबे समय (महीनों, यहां तक कि वर्षों) से लेटा हुआ (sideways) चल रहा हो, तो इसका मतलब है कि यह समेकित (consolidated) हो गया है - केवल वे लोग जो उस स्टॉक में वास्तव में विश्वास करते हैं, उस स्टॉक में अभी भी निवेश करे हुए हैं, और सभी कमजोर निवेशक बाहर निकल गए हैं। ज्यादातर ऐसे स्टॉक में लंबे समय तक निवेश करने वाले लोग पढ़े-लिखे, समझदार लोग होते हैं, जो जानते हैं कि स्टॉक जल्द ही ब्रेकआउट दिखाएगा।
  • किसी स्टॉक के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर भी एक नज़र डालें। अगर व्यापार की मात्रा में अचानक वृद्धि होती है, तो यह दर्शाता है कि कुछ ब्रेकअवे (प्रवृत्ति परिवर्तन / trend change) आने वाला है।
नोट

कुछ शेयर बाजार विशेषज्ञ दोनों को करते हैं - अर्थार्थ मौलिक और तकनीकी विश्लेषणों दोनों को, और अपने स्वयं के मॉडल बनाते हैं, जिनका वे निवेश निर्णय लेने के लिए अनुसरण करते हैं। हालांकि, कुछ के अनुसार यह अनावश्यक रूप से सिस्टम को जटिल बनाता है। दो नावों पर सवार होने के बजाय, वे मौलिक विश्लेषण के आधार पर कुछ शेयरों को शॉर्टलिस्ट करते हैं, और फिर अंत में तकनीकी विश्लेषण के आधार पर उनमें से कुछ में निवेश करते हैं। सामान्य तौर पर, मौलिक विश्लेषण आपको जल्दी निवेश करने में मदद करेगा, लेकिन यह आपको जल्दी बाहर निकलने के लिए भी मजबूर करेगा। तकनीकी विश्लेषण आपके प्रवेश देरी से करवाएगा (क्यूंकि आप ब्रेकआउट का इंतज़ार करेंगे), लेकिन यह आपको सही समय पर बाहर निकलने में मदद करेगा।

विविधीकरण (Diversify)

आपको विभिन्न प्रकार के शेयरों में निवेश करना चाहिए; यदि संभव हो तो, बहुत से क्षेत्रों से। मान लीजिए, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से दो स्टॉक, ऊर्जा से 3, फार्मा से 1, आदि।

साथ ही, एक ही क्षेत्र में भी आप कंपनियों की रणनीति, चक्र, लक्षित ग्राहकों, आदि के आधार पर विविधता ला सकते हैं। उदाहरण के लिए, BMW के पास मारुति की तुलना में एक अलग लक्षित ग्राहक हो सकते हैं; HDFC, कोटक (उधार देने में रूढ़िवादी, कम NPA वाले) जैसे बैंकों की RBL, IDFC, (उधार में उदार, अधिक NPA वाले) आदि की तुलना में एक अलग रणनीति होती है।

इससे आपका जोखिम कम होगा। हालांकि यह जरूरी है कि आपको उन क्षेत्रों और कंपनियों के बारे में कुछ जानकारी हो जिसमें आप निवेश कर रहे हैं। इसलिए, विविधीकरण का मतलब है कि आपको बहुत अधिक शोध करना होगा और इस पर कुछ समय लगाना होगा।

आपको हजारों शेयरों पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। बस 10-15 शेयरों पर ध्यान दें और उनके बारे में अच्छे से जानें। जितना अधिक आप सीखेंगे, उतना ही आप उनके व्यवसाय के चक्रों के बारे में जानेंगे, और उनमें निवेश करने या उनसे बाहर निकलने का सही समय जानेंगे। आप प्रति वर्ष 8-10 कंपनियों (अधिमानतः 1 या 2 क्षेत्रों से) के बारे में जानने का लक्ष्य रख सकते हैं। धीरे-धीरे आपके शेयरों का पिटारा आपके ज्ञान/सूचना के साथ बढ़ेगा।

कंपनी/स्टॉक के मूल सिद्धांतों का अध्ययन करने के अलावा, स्टॉक के मासिक/साप्ताहिक चार्ट पर भी एक नज़र डालें। सबसे अच्छे दिखने वाले चार्ट का चयन करें और एक उपयुक्त स्टॉप लॉस लेकर निवेश करें।

समय के साथ कुछ स्टॉक खराब प्रदर्शन कर सकते हैं और स्टॉप लॉस हिट कर सकते हैं, लेकिन उनमें से कुछ आपको भारी मुनाफा देंगे जो आपके नुकसान को लगभग समाप्त कर देगा। भले ही आपके 80% शेयर घाटे में चले जाएं, शेष 20% आपको इतना बड़ा मुनाफा दे सकते हैं कि आपको अमीर बना सकें।

यदि आप किसी म्यूचुअल स्टॉक में निवेश कर रहे हैं, तो आपका पोर्टफोलियो अपने आप एक निश्चित सीमा तक विविध हो जाएगा। यहां भी आप कई म्यूचुअल फंडों में निवेश करके विविधता ला सकते हैं। (हालांकि, अति-विविधता न करें - 6-7 म्यूचुअल फंड रखना भी काफी अधिक विविधीकरण है)

चेतावनी

भले ही आप एक अनुभवी शेयर बाजार निवेशक हों, फिर भी आप कुछ गलत शेयरों को चुनेंगे और नुकसान करेंगे। विशेषज्ञ केवल यह सुनिश्चित करते हैं कि वे जो लाभ कमाएं वह बहुत बड़ा हो, जबकि उनका नुकसान छोटा हो। इसलिए, जोखिम-इनाम प्रबंधन (risk-reward management) आवश्यक है, भले ही आप निवेश कर रहे हों या ट्रेडिंग कर रहे हों। शेयर बाजार में, अपनी पूंजी की सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन, मुनाफा कमाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह याद रखिये!

शेयर चयन

शेयर चुनने के दो तरीके होते हैं:

  • टॉप-डाउन: कुछ सेक्टरों को शॉर्टलिस्ट करें और फिर प्रत्येक सेक्टर में कुछ अच्छे शेयरों का चयन करें।
  • बॉटम-अप: केवल अपने मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर कंपनी के शेयरों का चयन करें (इस बात की परवाह किए बिना कि वे किस क्षेत्र से संबंधित हैं)।

आप दोनों भी कर सकते हैं। कुछ ऐसे क्षेत्रों को शॉर्टलिस्ट करें जिनमें आपको विकास की अपार संभावनाएं दिख रही हैं, या यदि आप उनसे बहुत परिचित हैं।

शेष के लिए, आप बस एक बॉटम-अप दृष्टिकोण अपना सकते हैं। आखिरकार, यह एक विशेष स्टॉक ही है जिसमें आप निवेश करते हैं, पूरे क्षेत्र में नहीं। इसके लिए आप निम्नलिखित कर सकते हैं:

  • स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाएं या अखबार पढ़ें, और शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयरों पर एक नजर डालें। निवेशक इनमें से 500 शेयरों को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं। (हालांकि, व्यापारियों की नज़र बुरा प्रदर्शन करने वाले शेयरों पर भी हो सकती है, यानी कोई भी शेयर जो अच्छी मूल्य गति / price momentum को दर्शाता है - ऊपर या नीचे।)
  • चूंकि निफ्टी 50 में सूचीबद्ध 50 स्टॉक बहुत बड़े हैं, इन शेयरों में लाभ मार्जिन बहुत कम होता है। तो, आप उन्हें सूची से हटा सकते हैं। (आप इनमें निवेश कर सकते हैं यदि आप अधिक जोखिम से बचते हैं, और डिविडेंड पाना चाहते हैं।)
  • इन बचे हुए 450 शेयरों में से 200 शेयरों को शॉर्टलिस्ट करें। उस कंपनी को हटा दें जो किसी जांच के दायरे में है, जिसके उत्पाद/सेवाएं खराब हैं या यदि आप उनके बारे में अच्छी तरह से नहीं जानते हैं, या यदि उस कंपनी के विकास की संभावनाएं धूमिल लगती हैं। यानी खराब, सड़े हुए सेबों को हटाने के लिए अपने सामान्य ज्ञान + करंट अफेयर्स ज्ञान + मौलिक विश्लेषण का उपयोग करें।
  • शेष 200 शेयरों पर अपना तकनीकी चार्ट विश्लेषण लागू करें। जब भी आपको मौका मिले उनमें से 30-50 में निवेश करें। अपनी पूंजी फैलाएं, अपनी संपत्ति में विविधता लाएं।
नोट

यह जरूरी नहीं कि निवेश और ट्रेडिंग के लिए आपके द्वारा चुने गए शेयर समान हों। आपको इन दोनों के लिए अलग-अलग सूचियां तैयार करने की जरूरत है।

  • ट्रेडिंग में हम बड़े पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले स्टॉक की तलाश करते हैं, और इंट्रा-डे ट्रेडिंग को सही ठहराने के लिए पर्याप्त अस्थिरता (volatility) की भी।

  • निवेश के लिए आप मजबूत फंडामेंटल और लंबी अवधि के विकास की संभावनाओं वाले शेयरों की तलाश करते हैं (भले ही व्यापार की मात्रा कम हो और कीमतों में न्यूनतम अस्थिरता हो)।

औसत करना (Averaging Out)

हमें कई स्तरों पर प्रवेश करना चाहिए और बाहर निकलना चाहिए, यानी कंपित तरीके (staggered way) से। जब हम ऐसा करते हैं जब कोई स्टॉक गिर रहा होता है, तो इसे एवरेजिंग आउट (Averaging Out, औसत करना) कहा जाता है।

एक ही मूल्य बिंदु पर प्रवेश करना और बाहर निकलना एक जोखिम भरा खेल है, क्योंकि हम में से अधिकांश यह नहीं जानते हैं कि किसी विशेष शेयर का उच्च और निम्न स्तर क्या होगा (यह बड़े ऑपरेटरों द्वारा तय और प्रभावित होता है)। इसलिए ही हम किसी भी शेयर को थोड़ा-थोड़ा करके खरीदते-बेचते हैं (Systematic Investment Plan - SIP की तरह), और एवरेजिंग आउट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं|

हालांकि, गिरते हुए शेयर को तभी खरीदें जब आप आश्वस्त हों कि उसके पास ठोस फंडामेंटल हैं और वह फिर से ऊपर उठेगा।

चेतावनी

जब कीमत गिर रही हो तो व्यापारियों को औसत नहीं निकालना चाहिए, उदा. निफ्टी को शार्ट करके एवरेजिंग न करें। यह एक बड़ी व्यापारिक/ट्रेडिंग भूल है। हालांकि, यह लेख निवेश के बारे में है, इसलिए हम यहां ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा बात नहीं करेंगे।

जानें कि किसी शेयर से कब बाहर निकलना है

हमने सामान्य रूप से अनुभव किया है कि कोई भी अच्छा शेयर (और अच्छे से हमारा मतलब है कि एक शेयर जिसमें विकास की क्षमता है) पिछले वर्ष में इसकी उच्च कीमत के 15% से नीचे व्यापार नहीं करेगा (यदि यह एक ब्लू-चिप कंपनी है; मिडकैप कंपनियों के लिए यह 20% हो सकता है)।

तो, पिछले 52 हफ्तों में शेयर की कीमत पर एक नजर डालें। यदि यह उस दौरान रही अपने उच्चतम मूल्य बिंदु के 15% से नीचे कभी नहीं गया है, तो इसे खरीदा जा सकता है। अन्यथा, इसे बेच दें (यदि आपके पास पहले से यह है)।

उदाहरण के लिए, यदि किसी शेयर X का उच्च बिंदु पिछले 52 हफ्तों में रु. 100 था, और यह रु. 85 से नीचे चला जाता है, तो यह एक अच्छा शेयर नहीं है। तो, आप इसे बेच सकते हैं। अपने घाटे में कटौती करें, क्योंकि ऐसा शेयर बहुत नीचे जा सकता है। (स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट विवेक बजाज की सलाह)

हालांकि, आपको छोटे मुनाफे की बुकिंग के प्रलोभन का विरोध करने में भी सक्षम होना चाहिए। कभी-कभी, हम कुछ लाभ देखते ही शेयर बेच देते हैं| किसी शेयर से बाहर निकलने का सही समय चुनने के बजाय, यह सीखना अधिक महत्वपूर्ण होता है।

नोट

ऐसा कहा जाता है कि फंडामेंटल एनालिस्ट सही समय पर स्टॉक में प्रवेश करने में बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन वे बाहर निकलने में देर करते हैं। दूसरी ओर तकनीकी विश्लेषक स्टॉक से बाहर निकलने में बेहतर होते हैं।

नए निवेशक स्विंग ट्रेडिंग भी कर सकते हैं - कुछ दिनों के लिए स्टॉक में निवेश करें और अनुकूल स्विंग पर बाहर निकलें। आप हमारे एक अलग लेख में स्विंग ट्रेडिंग के बारे में अधिक जान सकते हैं।

सस्ते स्टॉक से सावधान

सस्ते स्टॉक तब तक न खरीदें जब तक आपके पास यह मानने का कोई मजबूत कारण न हो कि यह बढ़ेगा। सस्ते स्टॉक किसी कारणवश ही सस्ते होते हैं!

सस्ते स्टॉक में निवेश एक उच्च जोखिम, उच्च लाभ का खेल है। ज़रूर, आपको बड़ा लाभ हो सकता है, लेकिन धन खोने की संभावना और भी अधिक है। (यह सलाह निवेशकों के लिए है। शेयरों की लंबी अवधि की वृद्धि व्यापारियों/ट्रेडर्स के लिए मायने नहीं रखती।)

यहां तक कि कुछ सस्ते शेयरों का अधिक मूल्यांकन भी हो सकता है, जबकि कुछ महंगे शेयरों का मूल्यांकन कम किया जा सकता है।

छोटे से शुरू करिये

शुरुआती वर्षों में, जब आप सीख रहे हों, आपको छोटी शुरुआत करनी चाहिए। शेयर बाजार में एक बार में ज्यादा निवेश न करें।

  • चरणों में निवेश करें, एक बार में नहीं।
  • कई शेयरों में निवेश करें - अपने सभी अंडे एक टोकरी में न रखें।
  • छोटा निवेश करें - लंबी अवधि में भी, अपनी सारी पूंजी शेयर बाजार में न लगाएं। अन्य साधनों में भी अपनी पूंजी का विविधीकरण करें, उदा. FD, PPF, बॉन्ड, बुलियन आदि।

कुछ बाजार विशेषज्ञ निम्नलिखित नियमों का भी पालन करते हैं:

  • वे सरकारी कंपनियों, सार्वजनिक उपक्रमों, और प्रबंधन में अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप वाली कंपनियों में निवेश करने से बचते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी नीति और प्रबंधन अचानक बदल सकता है। इसलिए, लंबी अवधि में उनके बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है।
  • वे उन कंपनियों से बचते हैं जहां प्रमोटर के कुछ राजनीतिक लिंक होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उनकी प्रताड़ना की जाती है, तो उनकी कंपनी बहुत जल्द गिर सकती है। साथ ही, कभी-कभी ऐसी कंपनियों की बैलेंस शीट में भी बदलाव किया जा सकता है, ताकि उनके राजनीतिक आकाओं या राजनीतिक दल को कुछ फंड ट्रांसफर किया जा सके।
  • कुछ विशेषज्ञ केवल ब्लू-चिप और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में निवेश करते हैं, भले ही उनके शेयर महंगे हों। (बेशक, उन्ही शेयरों में जहां आप कोई ब्रेकआउट देखते हैं, शेयर में गति और व्यापार-मात्रा है, यह उच्च निम्न-स्तर (high-bottoms) बना रहा है, और यदि यह प्रमुख स्तरों से ऊपर कारोबार कर रहा है)।
  • निवेश के अवसरों की तलाश के लिए निवेशकों को कम से कम 200-700 शेयरों पर नज़र रखनी चाहिए। (जबकि व्यापारी/ट्रेडर्स 50-200 शेयरों को ट्रैक करने का लक्ष्य रख सकते हैं)

उपसंहार

चाहे आप एक आम व्यक्ति हों, जिसे वित्तीय ज्ञान नहीं है, या ट्रेडर हों, शेयर बाजार में निवेश की मूल बातें जानना एक अच्छा विचार है। यह हमें दोनों दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खूबियाँ प्रदान करता है - यह हमें FD, PPF, बॉन्ड आदि की तुलना में बेहतर रिटर्न देता है, और फिर भी यह ट्रेडिंग (इंट्रा-डे, फ्यूचर्स, ऑप्शंस) की तुलना में अधिक सुरक्षित है।

लोग अक्सर शेयर बाजार विश्लेषण को जटिल बना देते हैं, चाहे किसी कंपनी का मौलिक विश्लेषण हो या स्टॉक के चार्ट का तकनीकी विश्लेषण। बेशक, आपको इसकी मूल बातें सीखने में कुछ समय लगाना होगा, लेकिन यह कुछ ऐसा है जो आसानी से अपने आप किया जा सकता है, खासकर इस सूचना युग में।

आप इसे स्वयं कर सकते हैं - केवल लेख पढ़ें, YouTube वीडियो देखें और अभ्यास करें। किसी कोचिंग में प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर आपको यह करना है, तो वह भी आपके घर से ही किया जा सकता है।

और याद रखें - ज्यादातर अमीर लोग निवेश करते हैं, व्यापार/ट्रेड नहीं। यहां तक कि व्यापारी/ट्रेडर्स भी धीरे-धीरे लंबी अवधि के लिए शेयरों में निवेश करना शुरू कर देते हैं, एक बार जब वे पर्याप्त पैसा कमा लेते हैं। यहां आपको बोनस और डिविडेंड भी मिलता है। ट्रेडिंग आपके लिए पैसा बनाती है, लेकिन निवेश आपको धनी बनाता है!

विकास बनाम लाभांश (Growth Vs. Dividends)

जब हम शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो हम दो तरीकों से लाभ प्राप्त कर सकते हैं:

  • यदि शेयर की कीमत बढ़ती है, या/और

  • अगर कंपनी लाभांश का भुगतान करती है। लाभांश मूल रूप से कंपनी द्वारा किए गए मुनाफे में आपका हिस्सा है। आम तौर पर, कोई कंपनी अपने लाभ का केवल कुछ ही हिस्सा लाभांश के रूप में भुगतान करती है।

ध्यान रखें कि सभी कंपनियां लाभांश का भुगतान नहीं करती हैं। वे कंपनियाँ जो अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान नहीं करती हैं, ग्रोथ कंपनी / Growth Companies कहलाती हैं (क्योंकि वे शेयरधारकों को लाभांश देने के बजाय कंपनी के विकास में अपने लाभ का उपयोग करती हैं)। लाभांश का भुगतान आम तौर पर लार्ज कैप कंपनियों द्वारा किया जाता है, यानी वे कंपनियां जो पहले ही बहुत बढ़ चुकी हैं।

यदि आप लाभांश भुगतान करने वाली कंपनियों में रुचि रखते हैं, तो आप उन्हें Google या किसी स्टॉक स्क्रेनर सॉफ़्टवेयर पर खोज सकते हैं। इसके अलावा, आपको कुछ तकनीकी शब्दों से भी अवगत होना चाहिए:

  • डिविडेंड यील्ड या डिविडेंड-प्राइस रेशियो (Dividend Yield or Dividend-Price Ratio): डिविडेंड यील्ड = [प्रति शेयर लाभांश / शेयर का बाजार मूल्य] × 100

  • लाभांश प्रतिशत (Dividend Percentage): लाभांश प्रतिशत = प्रति शेयर लाभांश / शेयर का अंकित मूल्य। किसी शेयर का अंकित मूल्य (Face value) वह मूल्य होता है जिस पर इसे लॉन्च किया गया था।

  • डिविडेंड रेट, या डिविडेंड प्रति शेयर या DPS (Dividend Rate, or Dividend per share or DPS): डिविडेंड दरों (Dividend rates) को वास्तविक रुपया/डॉलर राशि के रूप में व्यक्त किया जाता है (न कि प्रतिशत के रूप में), जो कि (प्रति शेयर) वह राशि है जो किसी निवेशक को लाभांश के रूप में प्राप्त होता है। कंपनियां सालाना, अर्ध-वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक रूप से लाभांश वितरित कर सकती हैं।

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