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इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें?

इस लेख में, हम इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) या डे ट्रेडिंग पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं। हम सीखेंगे कि यह क्या है, इससे जुड़ी कुछ शब्दावली और इसे कैसे किया जाता है इसकी कुछ बुनियादी बातें।

Table of Contents
  • इंट्रा-डे ट्रेडिंग क्या होती है?
  • इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें? - इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीतियाँ
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

इंट्रा-डे ट्रेडिंग क्या होती है?

शेयर बाजार में, हम दो तरह से प्रतिभूतियों (securities) को खरीद सकते हैं - एक दिन की सीमित अवधि के लिए, या असीमित अवधि के लिए।

  • इंट्रा-डे ट्रेडिंग में हमें अपनी प्रतिभूतियों (शेयरों, या डेरिवेटिव) को उसी दिन (3:30 अपराह्न तक) बेचना होता है। यानी यहां हम उसी दिन पोजीशन को बंद कर देते हैं। हम नकद या मार्जिन का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं। इंट्रा-डे ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तकनीकी शब्द मार्जिन इंट्राडे स्क्वायर ऑफ (Margin Intraday Square Off, MIS) है।
  • जब हम प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी (delivery) लेते हैं (चाहे वह शेयर हों, या डेरिवेटिव हों) तो हम इसे एक दिन से अधिक समय तक रोक कर रख सकते हैं। इसे स्विंग ट्रेडिंग या पोजिशनल ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है। हम नकद या मार्जिन का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं। डिलीवरी या पोजिशनल ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तकनीकी शब्द कैश एंड कैरी (Cash and Carry, CNC) है।

Intra-day Trading

कैश ट्रेडिंग बनाम मार्जिन ट्रेडिंग

शेयर बाजार में, हम या तो हमारे पास पहले से मौजूद धन से प्रतिभूतियां खरीद सकते हैं, या हम अपने ब्रोकर से ऋण ले सकते हैं।

जब कोई व्यक्ति कैश ट्रेडिंग कर रहा होता है, तो वह केवल मार्जिन मनी का उपयोग करने के बजाय अपने पैसे का उपयोग करके प्रतिभूतियों का व्यापार (खरीद और बिक्री) करता है।

जब हम उधार ली गई पूंजी का उपयोग करते हैं, तो हम इसे मार्जिन (या ब्रोकर्स मार्जिन/margin, या लीवरेज/leverage) कहते हैं। लीवरेज/मार्जिन वह अतिरिक्त फंड है जो ब्रोकर आपके ट्रेडिंग के लिए प्रदान करता है। यह व्यापारियों को कम पूंजी के साथ भी ज्यादा व्यापार करने की अनुमति देता है। आमतौर पर ब्रोकर मार्जिन मनी पर ब्याज लेते हैं।

हम शेयर बाजार में लगभग सभी प्रकार के व्यापारों में नकद और मार्जिन दोनों का उपयोग कर सकते हैं, चाहे वह स्टॉक हो या डेरिवेटिव/derivatives (विकल्प/options, वायदा/futures)।

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें? - इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीतियाँ

इंट्राडे ट्रेडर मुनाफा कमाने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करते हैं। आम तौर पर, वे एक या सिर्फ दो रणनीतियों को पसंद करते हैं जो उनके लिए काम करती हैं।

  • रेंज ट्रेडिंग (Range trading): यह सबसे पारंपरिक और प्रसिद्ध तरीका है जिसका उपयोग इंट्रा-डे ट्रेडर करते हैं। यहां वे मुख्य रूप से सही प्रवेश और निकास बिंदु (यानी खरीदने और बेचने के फैसले) निर्धारित करने के लिए समर्थन और प्रतिरोध स्तरों का उपयोग करते हैं।
  • स्कैल्पिंग (Scalping): इस रणनीति का उपयोग भी कुछ व्यापारियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें अक्सर स्कैल्पर (scalpers) कहा जाता है। यहां, व्यापारियों का उद्देश्य भारी मुनाफा कमाना नहीं है। बल्कि उनका लक्ष्य दिन भर में छोटी-छोटी कीमतों में बदलाव पर कई छोटे लाभ कमाना होता है। स्केलिंग करते हुए निर्णय लेने और निष्पादन में बहुत तेज होने की आवश्यकता होती है।

कुछ व्यापारी बाजार की अल्पकालिक अक्षमताओं (short-term market inefficiencies) का फायदा उठाने के लिए परिष्कृत एल्गोरिदम, डेटा और सूचकांक (जैसे PCR डेटा, मूविंग एवरेज, आदि) का भी उपयोग करते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें?

इंट्रा-डे ट्रेडिंग के लिए उपयुक्त स्टॉक का चयन करते समय व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न नियम हैं।

  • उच्च अस्थिरता (High Volatility): विशेषज्ञ हमें ऐसे शेयरों का चयन करने का सुझाव देते हैं जो कुछ अस्थिरता दिखाते हैं, यानी ऊपर-नीचे होता हुआ मूल्य। यदि कोई स्टॉक लेटा हुआ चल रहा है, तो आप एक ट्रेडर के रूप में उसमें मुनाफावसूली नहीं कर पाएंगे। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ हमें उन शेयरों से बचने का भी सुझाव देते हैं जो बहुत अधिक अस्थिर होते हैं, यानी वे स्टॉक जो अप्रत्याशित मूल्य कार्रवाई दिखाते हैं। इसलिए कुछ विशेषज्ञ इंट्रा-डे ट्रेडिंग के लिए ब्लू-चिप कंपनियों के शेयरों से चिपके रहते हैं। व्यापार करते समय, आपका उद्देश्य प्रवृत्ति (अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, या साइडवेज़ प्रवृत्ति) को पहचानना और उसका पालन करना है, यानी अकेला भेड़िया होने के बजाय झुंड का हिस्सा बनें। स्टॉक के रुझान के अलावा, आपको उस क्षेत्र और पूरे बाजार के रुझान को भी पहचानने की जरूरत है।
  • उच्च तरलता (High Liquidity): आपके द्वारा चुने गए स्टॉक में कुछ ट्रेडिंग वॉल्यूम होना चाहिए। यदि बहुत से लोग उस स्टॉक में व्यापार नहीं कर रहे हैं, तो आपको उस स्टॉक में अधिक मूल्य कार्रवाई नहीं दिखाई देगी। साथ ही, यदि आप किसी शेयर को खरीदने या बेचने का इरादा रखते हैं, तो कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो इसे आपको बेचने या आपसे इसे खरीदने के लिए तैयार हो। यदि व्यापार की मात्रा बहुत कम है, तो हो सकता है कि आपको कोई भी न मिले। याद रखें, शेयर बाजार खरीदारों और विक्रेताओं के व्यापार/ट्रेड के लिए सिर्फ एक मंच भर है।

इनके अलावा, ट्रेडर ट्रेड करने के लिए स्टॉक चुनने के लिए निम्नलिखित का भी उपयोग करते हैं:

  • समाचार-आधारित व्यापार: आसपास बढ़ी हुई अस्थिरता में व्यापारिक अवसरों को पहचानने के उद्देश्य से व्यापारी वर्तमान वित्तीय मामलों के साथ अद्यतित रहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप जानते हैं कि विमानन ईंधन की कीमतों में वृद्धि हुई है, तो अगले दिन विभिन्न एयरलाइनों के शेयरों में गिरावट आना तय है (विशेषकर वो कम्पनियाँ जो पहले से ही अच्छा नहीं कर रही हैं)।
  • ब्लू चिप या लार्ज कैप शेयर या इंडेक्स: कुछ व्यापारी अपने व्यापार को बड़े शेयरों और इंडेक्स जैसे निफ्टी और निफ्टी बैंक तक सीमित रखते हैं। यह सुरक्षित होता है और आपके लिए बिना किसी हिचकिचाहट के व्यापार करने के लिए हमेशा पर्याप्त मात्रा में ट्रेड-मात्रा होती है। आपकी जानकारी के लिए, निफ्टी बैंक इंडेक्स, निफ्टी इंडेक्स की तुलना में अधिक अस्थिर है।

जिन शेयरों में आप व्यापार करना चाहते हैं, उनका आपके द्वारा अच्छी तरह से शोध किया जाना चाहिए। अपने भाग्य पर भरोसा मत करिये - वार्ना आप जुआरी बन जाएंगे, व्यापारी/ट्रेडर नहीं!

कुछ इंट्रा-डे ट्रेडर्स सोचते हैं कि हम उस दिन ही सही स्टॉक और ट्रेंड की तलाश करेंगे। लेकिन यह एक अच्छा अभ्यास नहीं है।

स्टॉक का रुझान कई दिनों तक जारी रहता है। यदि आप पिछले दिन (या दिनों) में किसी शेयर का रुझान देखते हैं, तो आप अगले दिन इसकी प्रवृत्ति का काफी हद तक अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए, व्यापारियों को व्यापार करने से एक दिन पहले अपना होमवर्क करना चाहिए। यानी एक बार ट्रेडिंग दोपहर 3:30 बजे बंद हो जाए, तो आपको अगले दिन की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, उपयुक्त स्टॉक चुनकर।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

आइए, इंट्रा-डे ट्रेडिंग के कुछ फायदे और नुकसान पर एक नजर डालते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ

  • आपको किसी स्टॉक की लंबी अवधि के विकास की संभावनाओं और उस कंपनी के मौलिक विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता नहीं है। आपको केवल तकनीकी विश्लेषण करने की आवश्यकता है - मूल्य कार्रवाई, कैंडलस्टिक पैटर्न, चार्ट पैटर्न, डेटा विश्लेषण, आदि को समझें। इसलिए, एक इंट्रा-डे ट्रेडर रात भर की खबरों से कुछ हद तक अछूता रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हर रोज नए सिरे से शुरुआत करते हैं। वे उसी दिन अपना लाभ/हानि बुक करते हैं।
  • यदि आप एक नियमित व्यापारी हैं, तो आप अपने ब्रोकर से अधिक मार्जिन उठाने के योग्य हो सकते हैं। हालांकि, उधार ली गई मार्जिन मनी पर ट्रेडिंग करना काफी जोखिम भरा भी होता है। यह याद रखियेगा।
  • व्यापारी एक दिन में कई व्यापार करते हैं। सीखने का यह व्यावहारिक अनुभव उन्हें बेहतर तकनीकी विश्लेषक बनाता है। तकनीकी विश्लेषण न केवल इंट्रा-डे ट्रेडिंग में, बल्कि लंबी अवधि के निवेश (यानी स्थितीय ट्रेडिंग / positional trading) के लिए भी उपयोगी है।
  • ट्रेडिंग करते समय आप स्टॉक गिरने पर भी पैसा कमा सकते हैं। जबकि लंबी अवधि के निवेश में आप तभी पैसा कमाते हैं जब शेयर की कीमत बढ़ती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

  • इंट्रा-डे ट्रेडिंग पोजिशनल ट्रेडिंग की तुलना में जोखिम भरा है। यहां आपको उसी दिन अपनी पोजीशन बंद करनी होगी, चाहे आप मुनाफे की स्थिति में हों या नुकसान में। इसलिए, इंट्रा-डे ट्रेडर्स को जोखिम विश्लेषण करना चाहिए, उचित शोध करना चाहिए और हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ट्रेड करना चाहिए। मुनाफा कमाने से ज्यादा जरूरी पूंजी का संरक्षण करना है।
  • एकाधिक ट्रेडों का अर्थ है कमीशन लागत में वृद्धि।
  • इंट्रा-डे में सभी प्रतिभूतियों (securities) का कारोबार नहीं किया जा सकता है, उदा. म्यूचुअल फंड्स (mutual funds).
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